अंजाना वो, अंजानी मै
इस उल्लझी हुई दुनिया मे
एक दूसरे को खोजने चले..
न मुझे उनका कोई खबर, न कोई पता
उनका नाम या पहचान, घर- बार
काभी न कोई अता पता
मिल जाए मुझे,
एक इशारा ही सही
या एक झलक
उनका
जो अब तक हैं, अन्जान...
वो होगा कौन जिनका नाम
होगा मेरे ज़बान पर सुबह- शाम
क्यूँ है वो अभी तक मेरे लिए...
एक अंजान....
लेके चलते हैं यह उम्मीद
कि पल भर मे जान लेंगे एक दूसरे को
उनको जानते जानते
खुद को पहचान जायेंगे
एक अलग ही अंदाज़ से...
ज़िन्दगी बहुत सरल है यारों, तरीकेसे जियो तो
क्यूंकि प्यार वोह चीज़ है जो ज़िन्दगी बनादे
और वोही चीज़ है जो ज़िन्दगी बिगाड़ दे
ऐसी है यह प्यार जो
दिमाग को पागल
और दिल को दौदाड़े, उस रफ़्तार पर...
कि पैरों तले ज़मीन भी फिसल जाए
और हमें पता भी न चले...
पल- पल, क्षण- क्षण हम सोचते हैं
उनके बारे मे, जो होंगे हमारे
लाखों में एक, सबसे अनेक, होगा जो
मेरे वोह.....
वो अन्जाना, और
उनकी मै अन्जानी
मिलो तोह सही
कभी न कभी
क्योंकि हम बने है
एक होने के लिए
जनम जनम से
जनम जनम से..
अंजाना वो, अन्जानी मै....
25 July, 2012